now and here...........................
तुम्हारे चेहरे से जो छलकती है नाराजगी
हमे लगता है की हमारा गुरूर टूटा है
वक़्त का तकाज़ा है ये एय दोस्त
फकत तू ही एक जो नहीं रूठा है
सारी ज्न्नत का हक अता करके भी ऐ साहील
हमे लगता है की हमारा गुरूर टूटा है
वक़्त का तकाज़ा है ये एय दोस्त
फकत तू ही एक जो नहीं रूठा है
सारी ज्न्नत का हक अता करके भी ऐ साहील
सम्झ नहीं आता की खुश कैसे करू तुज्हे
समंदर के जीतने मोटी है
वो छोटे लगते है तेरे खुशी के सामने मुजहे
लीख लेना कही पर मेरे ये लफ्ज़ काफीर
फ़ीर मत कहना की खुदा बुरा है
आभी तो फक्त एक कदम साथ चले है
फीर मत कहना की सफ़र लम्बा है
हर मोड़ पर तुज्हे में संभल ही लूँगा
पर तेरी आरजू क्या है ये तो जता दे मुजको
आभी तो लम्हा लम्हा देखती है दुनिया
बाद में कहेगी की, क्या मील गया खुदा तुज्को ?
समंदर के जीतने मोटी है
वो छोटे लगते है तेरे खुशी के सामने मुजहे
लीख लेना कही पर मेरे ये लफ्ज़ काफीर
फ़ीर मत कहना की खुदा बुरा है
आभी तो फक्त एक कदम साथ चले है
फीर मत कहना की सफ़र लम्बा है
हर मोड़ पर तुज्हे में संभल ही लूँगा
पर तेरी आरजू क्या है ये तो जता दे मुजको
आभी तो लम्हा लम्हा देखती है दुनिया
बाद में कहेगी की, क्या मील गया खुदा तुज्को ?
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